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भारत मौसम विज्ञान विभाग का 150वां वर्ष

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने आज अपनी स्थापना और राष्ट्र सेवा के 150वें वर्ष का उत्सव मनाया। आईएमडी स्थापना के 150वें वर्ष के अवसर पर आयोजित समारोह के उद्घाटन सत्र में उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री श्री किरण रिजिजू समारोह के विशिष्ट अतिथि थे। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने समारोह की अध्यक्षता की। इनके अलावा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव, भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्व महानिदेशक, मंत्रालय के विभिन्न सहयोगी संगठनों के प्रमुख, विभिन्न मंत्रालयों के सचिव, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव और स्थानीय आयुक्त, विभिन्न आपदा प्रबंधन एजेंसियों के प्रमुख, विश्वविद्यालयों और संस्थानों के प्रमुख, आईएमडी के कर्मचारी, शोधकर्ता और शिक्षाविद् तथा प्रेस और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समारोह में उपस्थित थे। नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह में देशभर से पहुंचे करीब 1,200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


उप-राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में आईएमडी द्वारा राष्ट्र को दी जा रही मूल्यवान सेवाओं के लिए उसकी प्रशंसा की साथ ही इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने पर आईएमडी को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि आईएमडी की नीतियां, योजना और कार्यक्रम भारत के मुख्यधारा कार्यक्रमों और प्रधानमंत्री तथा उनकी टीम के विजन और मिशन के साथ जुड़े हैं। उन्होंने कृषि मंत्रालय, राज्य और केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों तथा राज्य कृषि विभागों के साथ मिलकर आईएमडी द्वारा जारी किये जाने वाले दैनिक मौसम, जोखिम और फसल संबंधी मौसम परामर्श जैसे उपयुक्त पूर्वानुमानों के जरिये किसानों की आय बढ़ाने में निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भी आईएमडी की सराहना की। उन्होंने कहा कि मौसम के सही पूर्वानुमान से वर्षा सिंचित क्षेत्र में दो एकड़ से कम भूमिधारी एक बीपीएल परिवार का किसान मौसम की सही जानकारी का इस्तेमाल करते हुए 12,500 रूपये हासिल करता है और इसके परिणामस्वरूप देश की जीडीपी में प्रतिवर्ष 13,300 करोड़ रुपये जुड़ते हैं।


गतिशक्ति और उड़ान योजना को समर्थन देते हुए आईएमडी ने सभी 117 हवाईअड्डों के लिए विमानन मौसम निगरानी और पूर्वानुमान के माध्यम से सुरक्षित विमानन सुनिश्चित करके उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने निर्णय समर्थन प्रणाली और आज जारी मोबाइल ऐप सहित मौसम और जलवायु सेवाओं में सुधार में इस्तेमाल साफ्टवेयर और विभिन्न उपकरणों का घरेलू स्तर पर विकास किए जाने की भी प्रशंसा की।

उपराष्ट्रपति ने 2020 में आये गंभीर चक्रवात अम्फान और 2023 के चक्रवाती तूफान मोचा के बारे में समय रहते चेतावनी दिए जाने की आईएमडी की सेवाओं की भी जमकर प्रशंसा की। इसके लिए आईएमडी की डब्ल्यूएमओ तथा संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने भी काफी सराहना की। उन्होंने देश के पश्चिमी हिस्से में आये चक्रवात बिपरजॉय की सटीक भविष्यवाणी को लेकर भी आईएमडी की प्रशंसा की जिसमें आपदा प्रबंधन में लगे संगठन गुजरात में जानमाल की रक्षा कर पाये और कोई जनहानि नहीं हुई। उन्होंने आईएमडी द्वारा समाज के हर वर्ग को अपनी सेवाएं देकर देश के आर्थिक विकास में भूमिका निभाने पर भी प्रकाश डाला।

आईएमडी द्वारा आज जारी ‘‘मौसम ग्राम’’ सरकार के ‘‘सबका साथ सबका विकास’’ कार्यक्रम के अनुरूप है। आईएमडी देश की 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या को समयपूर्व चेतावनी उपलब्ध कराने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। उन्होंने भारत सरकार की योजना ‘लाइफ’ के अनुरूप नुकसान को कम से कम करने और अर्थव्यवस्था में सुधार लाने में बिजली व नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को आईएमडी द्वारा दी जा रही सेवाओं पर भी प्रकाश डाला। आज जारी किये गये जलवायु सेवाओं के राष्ट्रीय रूपरेखा ढांचे का उद्देश्य आपदा जोखिम में कमी, जल, स्वास्थ्य, उर्जा और कृषि प्रबंधन पर विशेष ध्यान देते हुए हमारी सभी गतिविधियों का अहम हिस्सा बनाते हुये जलवायु से जुड़ी तमाम सूचनाओं का अधिक से अधिक उपयोग करना है। उन्होंने देशवासियों, व्यवसाय और उद्योगों, किसानों और मछुआरों, शोधकर्ताओं व शिक्षाविद् तथा सभी सामाजिक आर्थिक हितधारकों से मानव और सामुदायिक, कृषि, स्वास्थ्य और औद्योगिक गतिविधियों सहित अपनी सभी गतिविधियों में ‘‘मौसम अनुसार तैयारी और जलवायु स्मार्ट भारत’’ बनाने के लिये मौसम और जलवायु संबंधी सूचनाओं का उपयोग करने का आग्रह किया।

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन के आखिर में कहा कि मौसम संबंधी सेवाओं में भारत को वैश्विक नेतृत्व में सक्षम बनाने के लिए आईएमडी को नई प्रौद्योगिकी अपनाने को तैयार रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व और कई अन्य देशों को मौसम पूर्वानुमान सेवाएं उपलब्ध कराकर आईएमडी भारत की ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की सोच को आगे बढ़ा रहा है।

श्री किरण रिजिजू ने अपने संबोधन में इस यादगार अवसर के लिए आईएमडी को बधाई दी। पिछले दशक के दौरान देश में मौसम अवलोकन नेटवर्क में सुधार लाने को किये गये सक्रिय उपायों पर उन्होंने आईएमडी की प्रशंसा की। उदाहरण के तौर पर देश में डॉपलर रडार की संख्या जो कि 2014 में 15 थी वह 2023 में बढ़कर 39 हो गई और अगले 2-3 साल में 25 और रडार इसमें जुड़ जायेंगे। इसके साथ ही वर्षा निगरानी स्टेशनों की संख्या जो 2014 में 3,955 थी 2023 में बढ़कर 6,095 हो गई, ऊपरी वायु स्टेशनों की संख्या 2014 के 43 से बढ़कर 2023 में 56, उच्च पवन वेग रिकार्ड उपकरण जिनकी संख्या 2014 में 19 थी 2023 में बढ़कर 35 हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि अगले 5 साल के दौरान देश में रडार की संख्या बढ़कर 86 तक पहुंच जायेगी और इसके बाद बादल फटने जैसी घटनाओं के बारे में समय से पूर्व भविष्यवाणी की जा सकेगी। उन्होंने मेगा योजना ‘पृथ्वी’ के लिये प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। इससे मंत्रालय अपनी सेवाओं में और सुधार लाने की दिशा में नई पहलें कर सकेगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आईएमडी ने कई सफलताओं और चुनौतियों को पार किया है, विशेषतौर पर हाल के दशकों में उसने वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय नवाचार के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व क्षमता को दर्शाया है। उन्होंने आईएमडी को शुभकामना देते हुए कहा कि वह प्रगति की राह पर आगे बढ़ता रहे, नवीन उत्पाद लाता रहे और दुनिया में लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करता रहे। उन्होंने आईएमडी के सभी कर्मचारियों और मौसम विज्ञान से जुड़े तमाम विशेषज्ञों को महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने पर बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस अमृतकाल में आईएमडी प्रत्येक परिवार तक अपनी पहुंच बनायेगा और वैज्ञानिक ज्ञान आधारित सूचना व मार्गनिर्देशन सुनिश्चित करते हुए न केवल आपदा झेलने में सक्षम समाज बनायेगा बल्कि 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में भी भागीदारी निभायेगा।

इससे पहले, आईएमडी, मौसम विज्ञान के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने अपने स्वागत संबोधन में देश में मौसम संबंधी सेवाओं के क्षेत्र में प्राचीन काल से हुए विकास और पिछले वर्षों के दौरान अवलोकन, संचार, प्रतिरूपण, प्रचार और सेवाओं सहित अग्रिम चेतावनी प्रणाली के सभी घटकों में आये बदलाव को लेकर जानकारी दी। वर्ष 1865 में बंदरगाह चेतावनी प्रणाली से शुरुआत करते हुए आईएमडी ने 1908 में जलवायु सेवाओं की शुरुआत की, उसके बाद 1911 में विमानन संबंधी मौसम सेवाएं, 1928 में ओजोन निगरानी, 1945 में कृषि मौसम सेवाएं, 1955 में स्थिति विज्ञान, 1966 में समुद्री सेवाएं और बाढ़ मौसम संबंधी सेवाएं, 1977 में तूफान संबंधी चेतावनी, 1982 में एंटार्टिका अभियान, 1998 में हिमालय के लिए पर्वतीय मौसम सेवाएं, और उसके बाद आईएमडी के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत 2006 में डिजिटलीकरण और स्वचालन, आईएनसीओआईएस के साथ मिलकर 2013 में तटीय जलप्लावन, वर्ष 2018 में आईआईटीएम के साथ मिलकर वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान, 2019 में प्रभाव आधारित पूर्वानुमान, 2020 में शहरी मौसम सेवाएं, 2020 में ही जीआईएस आधारित एप्लिकेशंस और कई अन्य सेवाओं की शुरुआत की।

डॉ. महापात्र ने अपने संबोधन में इस पर विशेष जोर देते हुए कहा कि आईएमडी नई उंचाइयों को छूने और शिक्षाविदों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, सार्वजनिक निजी भागीदारी और हितधारकों के सहयोग व अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ किसी भी समय और कहीं भी प्रत्येक परिवार तक ‘‘हर हर मौसम और हर घर मौसम’’ के लिए तैयार है।

इस अवसर पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने थीम पर आधारित आईएमडी का गीत भी जारी किया। थीम पर आधारित गीत में आईएमडी द्वारा देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए ‘‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’’ यानी ‘‘सभी के कल्याण के लिए कार्य को लेकर प्रतिबद्धता’’ के सिद्धांत पर किए गए विकास कार्यों और उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं को विशेष तौर पर बताया गया है।



आईएमडी के 150वें वर्ष के अवसर पर आयोजित समारोह में उप राष्ट्रपति ने निम्नलिखित को जारी किया:
1. वर्ष 1875 से आईएमडी और उसकी सेवाओं में हुई क्रमिक प्रगति पर स्मारिका

स्मारिका में 1875 से आईएमडी के संगठनात्मक ढांचे, अवलोकनों, संचार, प्रतिमान और सेवाओं में हुये क्रमिक विकास और उपलब्धियों को बताया गया है।

2. स्वदेशी रूप से विकसित निर्णय समर्थन प्रणालीः

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इन-हाउस वेब-जीआईएस- आधारित एकीकृत निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) तैयार की है, जो कि पंच महाभूत यानी जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से प्रेरित एक मौसम विश्लेषण और पूर्वानुमान सक्षम प्रणाली (वाफेस) के तौर पर जानी जाती है। वाफेस एक दृश्यात्मक मंच है जिसमें मौसम संबंधी अवलोकनों का विश्लेषण और पूर्वानुमान मॉडल तैयार किया जाता है, यह गंभीर मौसम स्थिति और सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र पर उसके प्रभाव को लेकर निर्णय लेने में सहायता करती है। डीएसएस में मौसम सूचना संचार प्रणाली (एमआईसीएस), डेटा सूचना प्रसंस्करण प्रणाली (डीआईपीएस), संश्लेषित एकीकृत दृश्यीकरण प्रणाली (एसआईवीएस) और सार्वजनिक मौसम सूचना प्रणाली (पीडब्ल्यूआईएस) शामिल है। इसमें गंभीर मौसम घटनाओं के लिए विशेष माड्यूल्स और आईएमडी की अग्रिम चेतावनी आधारित दृश्यांकन, विश्लेषण और प्रतिक्रिया कार्रवाई के लिए जरूरी उपाय शामिल हैं। यह ‘‘यूपीएचएचईएटीटी’’ (कल्याण कार्यो के लिए) पहल के तहत शहर, बिजली, जलविज्ञान, स्वास्थ्य, उर्जा, कृषि, परिवहन और पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए वास्तविक समय में जानकारी उपलब्ध कराता है।


3. किसानों के लिए पंचायत मौसम सेवा

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के भारत मौसम विज्ञान विभाग और पंचायती राज मंत्रालय और हरित चेतावनी मौसम सेवा ने मिलकर पंचायत मौसम सेवा पोर्टल को विकसित किया है। पोर्टल के माध्यम से अंग्रेजी, हिन्दी और 12 क्षेत्रीय भाषाओं में मौसम संबंधी पूर्वानुमान प्रत्येक पंचायत प्रमुख और पंचायत सचिव को उपलब्ध कराया जायेगा ताकि वह देश के प्रत्येक गांव तक पहुंच जाये। इस पहल से मौसम को लेकर चेतावनी, सतर्क रहने, मध्यम स्तर के मौसम पूर्वानुमान के साथ देश के प्रत्येक किसान को समृद्ध बनाया जायेगा। इससे उन्हें बुवाई, प्रत्यारोपण, सिंचाई, उर्वरक, कीटनाशक उपयोग आदि की योजना बनाने में मदद मिलेगी। इससे इनपुट लागत और प्रतिकूल मौसम के कारण फसल नुकसान कम करने में मदद मिलेगी और अंततः उत्पादन व आय बढ़ेगी। विकसित किए गए वेबपेज का यूआरएल है: https://mausam.imd.gov.in/greenalerts


4. आईएमडी की मोबाइल एप और मौसमग्राम

आईएमडी ने मौसम से जुड़ी सभी तरह की सेवाओं जैसे कि वर्तमान मौसम, प्रत्येक घंटे से लेकर सात दिन के पूर्वानुमान, वर्षा, नमी, सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय/चंद्रास्त, वर्षा, बिजली, चक्रवात को लेकर सतर्क करना, विमानन और कृषि मौसम संबंधी परामर्श के लिए एकीकृत जीआईएस आधारित संवादात्मक मोबाइल ऐप ‘मौसम’ को लॉन्च किया है। ऐप देश में विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए 12 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा।

‘‘हर हर मौसम, हर घर मौसम’’ के विजन को आगे बढ़ाते हुए आईएमडी ने ‘‘मौसमग्राम’’ को लॉन्च किया जो कि मोबाइल ऐप ‘‘मौसम’’ के माध्यम से उपलब्ध है। इसके माध्यम से लोग नक्शे अथवा स्थान का नाम, पिनकोड अथवा निर्देशांक का इस्तेमाल करते हुए सर्च प्रक्रिया के जरिये जहां वह है उस स्थान के बारे में आब्जर्वेशन, पूर्वानुमान और चेतावनी को देख सकते हैं। मोबाइल ऐप में लिखित और रेखाचित्र के माध्यम से पूर्वानुमान व चेतावनी का प्रसार किया जाता है। इस प्लेटफार्म के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सागरीय क्षेत्र सहित नक्शे पर एक सामान्य क्लिक कर अपने चयनित स्थान के मौसम पूर्वानुमान की विस्तृत जानकारी ले सकता है। यह पूर्वानुमान प्रति घंटे, तीन-घंटे, छह- घंटे से लेकर 10-दिन तक के आधार पर उपलब्ध है, जिसमें वर्षा, तापमान, आर्द्रता, पवन वेग और बादल होने जैसे महत्वपूर्ण मौसम मानदंडों को कवर किया गया है। इस माड्यूल को सटीकता और विश्वसनीयता का ध्यान रखते हुए आईएमडी में ही अत्याधुनिक साधनों और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।

‘‘मौसमग्राम’’ तक आईएमडी की वेबसाइट (https://mausamgram.imd.gov.in) के माध्यम से भी पहुंचा जा सकता है।


5. जलवायु सेवाओं के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क (एनएफसीएस)

मौसम और जलवायु हमारे जीवन व आजीविका को प्रभावित करती है। इसे ध्यान में रखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग ने जलवायु सेवाओं के राष्ट्रीय फ्रेमवर्क की शुरुआत की है।

आईएमडी वर्षा, तापमान, हवा और दबाव और जलवायु की चरम परिस्थितियों जैसे गर्म हवाएं, शीतलहर, आंधी, चक्रवात, दबाव, निम्न, भारी वर्षा आदि जैसे मूलभूत मौसम विज्ञान मानदंडों का जलवायु विज्ञान तैयार करता है। इसे हर 10 वर्ष में अद्यतन किया जाता है।

आईएमडी ने 1901 से सभी अवलोकन डेटा का डिजिटलीकरण किया है। 2021 में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने जनता के लिए विभिन्न जलवायु मानदंडों, चरम परिस्थितियों, जलवायु खतरों और गंभीर मौसम घटनाओं के लिये संवेदनशील नक्शों का अवलोकन करने के लिए विजुअलाइजेशन टूल की शुरुआत की।

आईएमडी 2021 से प्रत्येक महीने और सत्र के लिए डायनेमिकल मल्टी माडल एन्सेम्बल जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली पर आधारित जलवायु पूर्वानुमान उपलब्ध कराता है।

इन सभी घटनाक्रमों के साथ देश में जलवायु सेवाओं का व्यापक विस्तार हुआ है जिसमें कृषि, जल विज्ञान, आपदा जोखिम कमी, स्वास्थ्य और ऊर्जा क्षेत्र पर विशेष जोर रहा है।

हालांकि, हमने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं, एनएफसीएस को लागू करते हुए हमें जलवायु एप्लिकेशन में और सुधार लाना है ताकि प्रत्येक व्यक्ति और संगठन जलवायु स्मार्ट बन सके तथा देश की अर्थव्यवस्था और बेहतर हो।

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