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2डी प्रोटीन की मोनोलेयर विकसित जो अमाइलॉइडोसिस जैसी व्याधियों का अध्ययन करने में होगी मददगार

वैज्ञानिकों ने अमाइलॉइडोसिस जैसी व्याधियों के अध्ययन में मॉडल प्रोटीन – लाइसोजाइम अणुओं को इकट्ठा करके द्वि-आयामी (2डी) प्रोटीन की एकल परत (मोनोलेयर) विकसित की है।

अमाइलॉइडोसिस एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है जो उस समय होती है जब शरीर के कुछ अंगों में अमाइलॉइड नामक प्रोटीन एकत्र हो जाता है।

ऐसे अमाइलॉइड्स का इस प्रकार से निर्मित होना हृदय, वृक्क (गुर्दे-किडनी), यकृत (लीवर), प्लीहा (स्पलीन), तंत्रिका तंत्र और पाचन तंत्र जैसे अंगों के कामकाज को प्रभावित कर सकता है।

लाइसोजाइम को म्यूकोसल स्राव में विद्यमान एक प्रोटीन और वायुमार्ग द्रव के एक प्रमुख घटक को अमाइलॉइडोसिस जैसी व्याधियों का अध्ययन करने में एक मॉडल प्रोटीन के रूप में माना जा सकता है जो अंततः बहु-अंग शिथिलता (मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन) का कारण बनता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत पूर्वोत्तर भारत के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी- आईएएसएसटी) गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने शुद्ध जलीय उपचरण (सबफेज) के इंटरफ़ेस पर द्वि-आयामी एकल परत (2-डी मोनोलेयर) के रूप में लाइसोजाइम अणुओं को इकट्ठा किया है। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सारथी कुंडू, के नेतृत्व में अनुसंधान समूह की एक जूनियर रिसर्च फेलो हिमाद्रि नाथ के साथ, वायु–जल के साथ ही वायु-ठोस इंटरफेस में लाइसोजाइम अणुओं के व्यवहार को समझने के लिए लैंगम्यूर-ब्लोडेट (एलबी) नामक तकनीक के अंतर्गत 2-डी प्रोटीन मोनोलेयर का उपयोग किया गया।

हाल ही में प्रतिष्ठित रॉयल सोसाइटी ऑफ़ केमिस्ट्री (आरएससी) प्रकाशकों के अंतर्गत आरएससी एडवांस में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार वायु-जल वाले इंटरफ़ेस पर लाइसोजाइम अणुओं के भौतिक गुणों की जांच सतह के दबाव और सबफेज पीएच स्थितियों की भिन्नता के अंतर्गत की गई थी। लाइसोजाइम मोनोलेयर्स का कंप्रेस्ड बिहेवियर सतह के दबाव में वृद्धि के साथ बनने वाले स्ट्रिप्स-लाइक डोमेन से संबंधित था।

वायु-जल के इंटरफेस पर लाइसोजाइम अणुओं और परिवर्तनीय पीएच स्थितियों में उनके संरचनात्मक अथवा गठनात्मक परिवर्तनों को अमाइलॉइडोसिस रोग का अध्ययन करने के लिए एक मॉडल प्रणाली के रूप में माना जा सकता है और जो लाइसोजाइम अणुओं के विकृत रूप से मुड़ने (मिसफोल्डिंग) के बाद किसी स्थान विशेष पर एकत्रीकरण (ऐग्लोमेरेशन) के कारण होता है।

एलबी विधि द्वारा वायु- जल और वायु- ठोस इंटरफेस पर निर्मित एवं सघनता से एकत्र किए गए लाइसोजाइम के एकल परत वाले (मोनोलेयर्स) ये प्रोटीन वातावरण के आसपास द्वि-आयामी रूप (2 डी) में विभिन्न रासायनिक और भौतिक गुणों का अध्ययन करने में सहायक सिद्ध होंगे। लाइसोजाइम की इस प्रकार एकत्रित की गई एलबी परतों (फिल्मों) को वांछित प्रोटीन के रूप में क्रिस्टलीकृत करने के लिए प्रोटीन नैनोटेम्प्लेट के रूप में भी समझा जा सकता है।

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