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Science Weekly – June 2019 | News In Science

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नमस्कार न्यूज़ इंन साइंस के वीकली साइंस राउंड अप में एक बार फिर आपका स्वागत है, और आज भी हम आपके लिए लेकर आए हैं साइंस और तकनीक की दुनिया से जुड़ी ताज़ा तरीन जानकारियां, जिसमें एक तरफ़ है भारत भी स्थापित करेगा अपना स्पेस स्टेशन, वहीं आपके बताएंगे कैसे कर सकते हैं दूध की ताज़गी की जांच।

भारत का होगा अपना स्पेस सेन्टर।

  1. भारत बहुत जल्द अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करेगा, जी हां चंद्रयान 2 के लॉच की तारीख़ घोषित करने के साथ ही इसरो ने ऐसी कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, इसरो ने अगस्त 2022 तक अपने महात्वाकांक्षी गगनयान मिशन को पूरा करने की बात कही है, हालांकि इसे दिसंबर 2021 तक भी पूरा किए जाने की संभावना है , ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा, दिल्ली में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया कि अगले 6 महीनो में अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले एस्ट्रॉनॉट्स का चयन कर लिया जाएगा, इस मिशन पर 2 से 3 भारतीय एस्ट्रॉनॉट्स भेजे जाएंगे जिन्हे डेढ़ से दो साल तक ट्रेनिंग दे कर तैयार किया जाएगा, इसी के चलते एक गगनयान नेशनल एडवाइज़री काउंसिल का भी गठन किया गया है जो पूरे मिशन की निगरानी और प्लानिंग करेगी, गगनयान मिशन को लेकर ही  भारत अपना स्पेस स्टेशन भी तैयार करने की योजना बना रहा है, ये स्टेशन पृथ्वी की आर्बिट में 400 किमी उपर स्थापित किया जाएगा जहां अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रॉनॉट्स 15 से 20 दिन तक रह सकेंगे, गगनयान मिशन के बाद अगले 5 से 7 साल के अंदर स्पेस स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।

इसरो लगातार अपने मिशन्स को पूरा करने की तरफ़ बढ़ रहा है इसी कड़ी में साल 2020 के शुरूआती महीनो में आदित्य एल 1 को लॉच करने की भी तैयारी है जिसके द्वारा सूर्य के अध्ययन किया जाएगा , मिशन वीनस की भी तैयारी जारी है जिसे आदित्य एल 1 के बाद छोड़े जाने की संभावना है इसरो के ये मिशन पूरी दुनिया के लिए एक बडी उपलब्धि साबित होंगे।

मिशन चंद्रयान 2

इसरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ 15 जुलाई 2019 की रात तक़रीबन ढाई बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान 2 रवाना होगा । आपको बता दें इससे पहले साल 2008 में भारत ने चंद्रयान 1 का सफ़ल प्रक्षेपण किया था और उसी के द्वारा चंद्रमा पर पानी होने के साक्ष्य सामने आए थे चंद्रयान 2 उसी मिशन के आगे की कड़ी है।

3.8 टन वज़नी इस यान में एक आर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल हैं, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉंच व्हीकल मार्क 3 यानी जीएसएलवी मार्क 3 द्वारा लांच किया जाने वाला ये चंद्रयान कई मानो में इतिहास रचेगा, ये यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग करेगा ये दोनो ही बातें पहली बार हो रही हैं, चंद्रमा का ये हिस्सा अनदेखा है और यहां अभी तक किसी देश के यान ने लैंड नहीं किया है साथ ही ये लैंडिंग भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए साफ़्ट लैंडिंग का उदाहरण पेश करेगी, ये पहला अभियान है जो पूरी तरह से स्वदेशी है।

“विजयराघवानी” छिपकली

प्रो विजयराघवन को आप जानते होंगे |  प्रो राघवन प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर हैं और जाने माने वैज्ञानिक  हैं  इस से पहले वह डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी के सचिव तथा  नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज बैंगलोर डायरेक्टर भी रह चुके हैं  लेकिन  हमारी अगली  खबर प्रो राघवन के बारे मैं नहीं है बल्कि कर्नाटक में पाई  जाने वाली एक  छिपकली के बारे मे है जिसका  नाम विजयराघवानी है ।

वास्तव में नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज बैंगलोर के शोधकर्ता जीशान मिर्ज़ा ने हाल ही में छिपकली की एक नई  प्रजाति खोजी हैं  जीशान मिर्ज़ा  प्रो  विजय राघवन की लैब से जुड़े रह चुकें है  इसलिए उन्होंने  प्रो राघवन से प्रेरित होकर इस छपकली का नाम hemidectylus विजयराघवानी रखा है।

उत्तर कर्नाटक के बागलकोट जिले में स्थित  झाड़ीदार इलाकों में पायी जाने वाली इस नयी प्रजाति की छिपकली का सम्बन्ध hemidectylus  श्रेणी से है।

hemidectylus विजयराघवानी छोटी, सुडौल ओर हल्के भूरे रंग कि दिखाई देती है, और  पूँछ पर पीले-नारंगी रंग की छीटों  आभास देती है। यह दक्षिण भारत में पायी जाने वाली एक और चकत्तेदार थलचर छिपकली से काफी मेल खाती है। कीटों को खाने वाली  ये छिपकलियाँ शाम 7  बजे से 8  बजे तक खाना  खोजने  के लिए सक्रिय रहती हैं।

यह छिपकली ऐसी जगह खोजी गयी  है जोकि संरक्षित क्षेत्र नहीं था जहाँ आम तौर पर ऐसे जीवों का जीवन काफी मुश्किल होता  है । एक नयी प्रजाति की  असरंक्षित क्षेत्र में खोज करना, संरक्षित क्षेत्रों के बाहर भी वन्यजीवन की उपस्तिथि दर्शाता  है जो काफी महत्तपूर्ण है । श्री मिर्ज़ा इससे पहले भी लगभग 37  प्रजातियों की छिपकलियाँ, बिच्छू, सांप, और मकड़ियां खोज चुके हैं।

रोशनी में सोना है खतरनाक।

अगर आप देर रात तक रोशनी में रहते हैं या लाइट ऑन कर के सोने के आदी हैं तो आपकी फिटनेस के लिए ठीक नहीं है, ख़ासकर महिलाओं में इस आदत से मोटापा बढ़ सकता है।

जी हां द नेशनल इंस्टीट्यूट आफ़ हेल्थ स्टडी शिकागो में इस पर एक अध्ययन जारी किया गया है जिससे पता चलता है कि रात में टीवी, बल्ब, मोबाईल, कंप्यूटर आदि की रोशनी में सोने से महिलाओं में वज़न बढ़ सकता है, अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने 43 हज़ार 722 महिलाओं से सवाल पूछे थे जिनके जवाबों के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला गया है । हालांकि इस अध्ययन को अभी पुख्ता नहीं माना जा रहा लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक़ आमतौर पर हमें रात के वक्त अंधेरे में ही सोना चाहिए वरना स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, इसकी वजह है कि रोशनी और अंधेरे के मुताबिक़ ही हमारे शरीर का बॉडी क्लॉक काम करता है इस दौरान शरीर का मोटाबॉलिज़्म, नींद को बढ़ावा देने वाले हार्मोंस, ब्लड प्रेशर और दूसरी क्रियाएं भी सही तरीके से काम करती हैं।

इससे पहले भी कई रिसर्च और स्टडी में ये बास साबित हो चुकी है कि अगर सोने और जागने का साइकिल गड़बड़ हो जाए तो ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, डिप्रेशन, हार्ट डिजीज़ और मोटापे जैसी ख़तरनाक बीमारियां हो सकती हैं।

इस ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ रात में हल्की सी रोशनी में सोने से वज़न नहीं बढ़ता लेकिन महिलाएं अगर कृत्रिम रोशनी में सोती हैं तो उनमें 5 किलो तक वज़न बढ़ने की 17 फीसद संभावना बढ़ जाती है।

दूध की गुणवत्ता की जाँच आसान।

जब हम दूध खरीदते  है तो सबसे पहले यह देखते है  कि  दूध ताजा  है या नहीं।  लेकिन हमारे लिए यह चेक करना बहुत ही  मुश्किल होता है। लेकिन भारतिय प्रौद्योगिकी संसथान गोवाहटी के शोधकर्ताओ ने एक ऐसा पेपर based detection system तैयार किया है जिस से यह पता लगाया जा सकता है की दूध सही तरीके से पोस्चारिस किया गया है या नही और यह कितना ताजा है। दूध मे हानिकारक रोगाणु न पैदा हो इसके लिए दूध को पोस्टोरीज़ किया जाता है। इसके लिए दूध को धीरे धीरे 70 Celsius पर गरम करके अचानक ठंडा कर दिया जाता है।  जिसे pasteurization कहा जाता है

शोधकर्ताओ ने यह सुनिष्चित करने की कोशिश की है कि हमे जो दूध मिल रहा है वह सही तरीके से पॉश्चराइज़्ड किया गया है या नहीं। इसके लिए उन्होंने biosensor के रूप मे एक सिक्के नुमा फ़िल्टर पेपर तैयार किया है जो दूध के सैम्पल मे alkaline फ़ॉस्फ़ेट की पहचान करता है, क्यूंकि कच्चे दूध मे alkaline फॉस्फेट की मात्रा अधिक होती है। यह शोध The Journal Biosensor and Bioelectronic मे  छपा  है

तो ये थी इस हफ्ते की कुछ रोचक ख़बरें उम्मीद है आपको हमारी ये जानकारियां ज़रूर पसंद आई होंगी, साइंस से जुड़ी ऐसी ही ताज़ातरीन ख़बरों के लिए हमसे जुड़े रहिए, और फ़ौरन हमारे चैनल न्यूज़ इन साइंस को सब्स्क्राइब करिए.. और साथ ही इस कार्यक्रम को लाइक और शेयर ज़रूर करें आज के लिए इतना ही नमस्कार

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