रिसर्चर ब्रह्मांड के बारे में गहन शोध करने की कोशिश में लगे हुए हैं। इनमें ब्रह्मांड में दूर तक की जगहों की जानकारी जुटाना भी शामिल है। लेकिन इसमें हमेशा से तकनीक बाधा बनती रही है। लेकिन अब इसमें कुछ सहूलियत मिलने की उम्मीद है।
चीन ने बनाई दूरबीन
चीन ने अब एक अंतरिक्ष दूरबीन विकसित की है। इसकी मदद से ब्रह्मांड का गहन और गहरा एक्स-रे किया जा सकता है। चीन ने दुनिया के पहले “लॉबस्टर आई” स्पेस टेलीस्कोप का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह दूरबीन अभूतपूर्व दक्षता के साथ ब्रह्मांड की एक्स-रे इमेज को कैप्चर कर सकती है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, लॉबस्टर आई इमेजर फॉर एस्ट्रोनॉमी (LEIA) नामक डिवाइस ने हमारी पृथ्वी के ऊपर 500 किमी (310 मील) की दूरी पर आकाशगंगा के केंद्र, मैगेलैनिक क्लाउड्स और स्कॉर्पियस तारामंडल के एक्स-रे स्रोतों की उच्च-गुणवत्ता वाली इमेज को सफलतापूर्वक कैप्चर किया है। इसकी जानकारी पीयर-रिव्यू जर्नल द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में दी गई है।
मिशन के मुख्य वैज्ञानिक, बीजिंग के नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट युआन वीमिन ने कहा कि उनकी टीम दूरबीन के नतीजों को लेकर उत्साहित थी। नतीजों ने दिखाया है कि हमारी तकनीक काम करती है और ऑब्जर्वेशन की सटीकता हमारी अपेक्षा से ज्यादा है।
नई लॉबस्टर-आई तकनीक चीन में नानजिंग स्थित फर्म नॉर्थ नाइट विजन टेक्नोलॉजी के इंजीनियरों और वीमिन की टीम की ओर से दस सालों में तैयार की गई है।
जलीय जीवों से मिला नाम
तथाकथित ‘लॉबस्टर आई’ टेलीस्कोप को अपना नाम लॉबस्टर और झींगा जैसे क्रस्टेशियन से मिला है। इन्होंने अपनी आंखों को पानी के नीचे की गहराई तक अनुकूलित करने का तरीका विकसित किया है।
दूरबीन एक सामान्य केंद्र की ओर एक्स-रे को प्रतिबिंबित करने के लिए 36 प्लेटों का उपयोग करता है, जहां उन्हें चार इमेजिंग सेंसर द्वारा पिक किया जाता है। मानव-सदृश अपवर्तन के बजाय झींगा मछलियों की आंखों से प्रेरित यह परावर्तन तकनीक एक बड़े क्षेत्र को देखने की अनुमति देती है। लेखकों के मुताबिक, यह दूरबीन व्यापक अवलोकन क्षेत्र और वास्तविक इमेजिंग क्षमता दोनों प्रदान करता है।
टेलीस्कोप ने पृथ्वी के ऊपर 500 किमी (310 मील) की दूरी पर हमारी आकाशगंगा के केंद्र, मैगेलैनिक बादल और स्कॉर्पियस तारामंडल की तस्वीरें ली।
अगले साल अंतरिक्ष में भेजने की योजना
इस दूरबीन की तकनीक आइंस्टीन प्रोब का हिस्सा होगी जिसे चीनी और यूरोपीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया जा रहा है। और अगले साल के आखिर में कक्षा में भेजा जाना तय किया गया है।
अंतरिक्ष विज्ञान पर अपनी रणनीतिक प्राथमिकता कार्यक्रम के हिस्से के रूप में चीनी विज्ञान अकादमी द्वारा यह मिशन विकसित किया जा रहा है।