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“वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” थीम पर मनेगा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इस साल मनाए जाने वाले राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के लिए थीम जारी कर दी है। इसे “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” (ग्लोबल साइंस फॉर ग्लोबल वेलबीइंग)” रखा गया है।

थीम में भारत की वैश्विक भूमिका की झलक

राज्य मंत्री ने कहा कि भारत के 2023 में प्रवेश करने के साथ ही यह विषय भारत की उभरती वैश्विक भूमिका और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में उसकी बढ़ती विज़िबिलिटी को इंगित करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” का विषय भारत के जी-20 की अध्यक्षता संभालने के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। इससे भारत वैश्विक दक्षिण यानी एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के विकासशील देशों की आवाज बनेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रों के समुदाय में वैश्विक दृश्यता प्राप्त की है। अब हम वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए नतीजे के हिसाब से वैश्विक सहयोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अब चिंताओं, चुनौतियों और बेंचमार्क ने वैश्विक आयाम हासिल कर लिया है। इसलिए अभ सामाधान भी वैश्विक प्रकृति का होना चाहिए।”

28 फरवरी को मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) हर वर्ष 28 फरवरी को ‘रमन प्रभाव’ की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस अवसर पर पूरे देश में विषय आधारित विज्ञान संचार गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित किया था। इसी दिन सर सीवी रमन ने ‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी। इसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। खोज यह थी कि जब रंगीन प्रकाश की किरण किसी द्रव में प्रवेश करती है, तो उस द्रव द्वारा प्रकीर्णित प्रकाश का एक अंश भिन्न रंग का होता है यह। रमन ने दिखाया कि इस बिखरे हुए प्रकाश की प्रकृति विद्यमान नमूने के प्रकार पर निर्भर थी।

विज्ञान से जुड़े कामों को बढ़ाने की कोशिश

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि ” वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” विषयवस्तु को वैश्विक संदर्भ में वैज्ञानिक मुद्दों की सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के उद्देश्य से चुना गया है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय वैज्ञानिक सफलताएं प्रयोगशाला से जमीन पर उतर गई हैं। अब “जीवन में सुगमता” लाने के लिए हर घर में विज्ञान के अनुप्रयोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र ने पिछले साढ़े आठ सालों में देश के लिए दूरगामी प्रभाव वाले कई नए ऐतिहासिक सुधारों की शुरुआत करके तेजी से प्रगति की है। उन्होंने सरकार के इस रुख को भी दोहराया कि विज्ञान पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के साथ, भारत औद्योगीकरण और तकनीकी विकास में एक वैश्विक नेता बनने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, डॉ. अजय कुमार सूद ने “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” विषय रखने की वजह बताई। उहोंने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर वैश्विक चुनौतियों से लड़ने के लिए विश्व अब और ज्यादा पास आ गया है। डॉ. सूद ने विस्तार से यह भी बताया कि 28 फरवरी 1928 को प्रतिष्ठित भारतीय

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