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चांद की कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने यह जानकार दी है। संगठन ने बताया कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर लिया है।

चांद तक दो-तिहाई दूरी पूरी

इसरो ने शुक्रवार को कहा कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपण किया गया था। अब तक चंद्रयान-3 को कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है।

इसरो ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स), आईएसटीआरएसी (इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क), बेंगलुरु से इसे बढ़ाने का कमान दिया गया था।’’

अंतरिक्ष एजेंसी ने उपग्रह से अपने केंद्रों को एक संदेश भी साझा किया, जिसमें लिखा था, ‘‘एमओएक्स, आईएसटीआरएसी, यह चंद्रयान-3 है। मैं चांद का गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं।’’

इसरो के सूत्रों ने बताया कि उपग्रह को चंद्रमा के करीब लाने के लिए चार और प्रक्रिया होगी, जो 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा है।
इससे पहले एक अगस्त को चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से ऊपर उठाया गया था और चंद्रमा की ओर ले जाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। उस वक्त यान को ‘ट्रांसलूनर कक्षा’ में भेजा गया था।

इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी। इससे पहले, 14 अगस्त को चंद्रयान को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। इसके बाद से उसे कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार अंजाम दिया गया है।

चंद्रयान-3 को 1.2 लाख किमी की यात्रा करने में करीब 51 घंटे का समय लगता है। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी करीब 3.8 लाख किमी है। हालांकि पृथ्वी और चंद्रमा की वास्तविक दूरी किसी खास दिन चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति के आधार पर अलग-अलग होगी।

चांद की सतर पर सफल लैंडिंग के साथ ही भारत के नाम दो उपलब्धियां जुड़ जाएंगी। चांद की सतह पर उतरने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। साथ ही दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश बन जाएगा।

इसरो ने प्रोपल्शन मॉड्यूल को 17 अगस्त को लैंडिंग मॉड्यूल से अलग करने का समय तय किया है। इसके बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी।

मिशन के कई उद्देश्य

अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर

वेलोसीमीटर : लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा

जड़त्वीय मापन: लेजर गायरो आधारित जड़त्वीय संदर्भ और एक्सेलेरोमीटर पैकेज

प्रणोदन प्रणाली: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स

नौवहन, गाइडेंस एंड कंट्रोल (NGC): पावर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व

खतरे का पता लगाना और बचाव : लैंडर खतरे का पता लगाना और बचाव कैमरा और प्रसंस्करण एल्गोरिथम

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