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इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया आदित्य एल-1 मिशन

भारत ने आज सूर्य के अध्ययन के लिए अपना आदित्य एल-1 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इस मिशन को लॉन्च किया गया। इसे पीएसएलवी सी-57 ( PSLV-C57) रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के करीब एक घंटा बाद यान ने सूर्य की कक्षा की तरफ अपनी यात्रा शुरू कर दी।

हर दिन मिलेगी 1440 तस्वीरें

सूर्य के रहस्यों का पता लगाने के लिए यह भारत का पहला मिशन है। इस मिशन के जरिए यह समझने की कोशिश की जाएगी कि जब सूर्य सौर लपटें छोड़ता है, तब क्या होता है। इस मिशन का वजन करीब 1500 किलो है। इस यान का मुख्य पेलोड विजिबल इमिजन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) है। यह अपनी कक्षा में पहुंचने के बाद हर दिन 1440 तस्वीरें ग्राउंड स्टेशन पर भेजेगा। इससे सूर्य के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी। आदित्य एल-1 के प्रोजेक्ट वैज्ञानिक और VELC के ऑपरेशन मैनेजर डॉ मुथु प्रियाल ने कहा कि एक मिनट में ग्राउंड स्टेशन को एक तस्वीर मिलेगी। इस तरह 24 घंटे में आदित्य एल-1 मिशन 1440 तस्वीरें भेजेगा। अधिकारियों के मुताबिक VELC पेलोड 190 किलो का है। यह पांच साल तक सेवा देगा। यह किसी सैटेलाइट का सामान्य जीवन है। लेकिन ईंधन की उपलब्धता के आधार पर ये उससे ज्यादा समय तक भी काम कर सकता है।

कुल सात पेलोड

वैसे इस मिशन में सात पेलोड हैं। ये सभी सूर्य के रहस्यों का पता लगाएंगे। इनमें से चार सूर्य से निकलने वाली रोशनी को ऑब्जर्व करेंगे। बाकी के तीन पेलोड प्लाजमा और मैग्नेटिक फील्ड का परीक्षण करेंगे।

आदित्य एल-1 को हेलो ऑर्बिट में लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (L1) के पास स्थापित किया जाएगा। यह जगह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाएगा और इस ग्रह को हमेशा देख पाएगा।

जनवरी तक कक्षा में पहुंचने की उम्मीद

माना जा रहा है कि यान जनवरी के मध्य तक अपनी कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद सभी जरूरी टेस्ट किए जाएंगे। इससे ये पता चलेगा कि सभी सिस्टम सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं। सबसे पहले छोटे उपकरणों की जांच होगी। फिर बड़े उपकरणों की जांच की जाएगी। वहीं VELC को सबसे आखिरी में टेस्ट किया जाएगा। इस मिशन से वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके असर को समझने में मदद मिलेगी। इसरो की वेबसाइट पर बताया गया है कि अंतरिक्ष यान प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों का अध्ययन करेगा।
आदित्य-एल1 का मुख्य उद्देश्य कोरोनल मास इजेक्शन की उत्पत्ति, गतिशीलता और प्रसार को समझना और कोरोनल हीटिंग समस्या को हल करने में मदद करना है।

आदित्य-एल1 मिशन के प्रमुख विज्ञान उद्देश्य:

सौर ऊपरी वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) की गतिशीलता का अध्ययन।

क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन। आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल द्रव्यमान इजेक्शन की शुरुआत और फ्लेयर्स

सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले इन-सीटू कण और प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण।

सौर कोरोना का भौतिकी और इसका तापन तंत्र।

कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान: तापमान, वेग और घनत्व।

सीएमई का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति।

कई परतों (क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना) पर होने वाली प्रक्रियाओं के अनुक्रम की पहचान करना जो अंततः सौर विस्फोट की घटनाओं की ओर ले जाती हैं।

सौर कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र माप का अध्ययन।

अंतरिक्ष मौसम को गति देने वाले (सौर हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता)।

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