fbpx
News

पृथ्वी को छोड़ चांद की ओर बढ़ा चंद्रयान-3

भारत का चंद्रयान-3 धरती की कक्षा से बाहर निकल गया है। अपनी गति से यह चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर बढ़ाने की प्रक्रिया मंगलवार तड़के अंजाम दी गई। अब चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर ‘ट्रांसलूनर’ कक्षा में चला गया। अब यह चंद्रमा की कक्षा की ओर बढ़ने लगा है। उसे अब चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने में पांच दिन और लगेंगे।
इसरो ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उसने बताया कि इसरो ट्रेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड स्टेशन ने चंद्रयान को चांद के करीब ले जाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया। इसके बाद चंद्रयान को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा। इस काम को पांच दिन बाद अंजाम दिया जाएगा। अब चंद्रयान उस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, जहां से वह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा।

इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी। इससे पहले, 14 अगस्त को चंद्रयान को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। इसके बाद से उसे कक्षा में ऊपर उठाने की प्रक्रिया को पांच बार अंजाम दिया गया है।

लगा 31 मिनट का समय

चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से निकाल कर चंद्रमा की कक्षा की तरफ बढ़ाने की प्रक्रिया में करीब 31 मिनट का समय लगा। इस प्रक्रिया के लिए वैज्ञानिकों ने इसरो के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय से चंद्रयान के इंजन को कुछ देर के लिए चालू किया गया। जैसे ही चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से कुछ आगे निकला, वैज्ञानिकों ने स्पेसक्राफ्ट में लगे थ्रस्टर्स में फायरिंग कर दी। इसके बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा की तरफ बढ़ने लगा। चंद्रयान-3 को 1.2 लाख किमी की यात्रा करने में करीब 51 घंटे का समय लगता है। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी करीब 3.8 लाख किमी है। हालांकि पृथ्वी और चंद्रमा की वास्तविक दूरी किसी खास दिन चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति के आधार पर अलग-अलग होगी।

चांद की सतर पर सफल लैंडिंग के साथ ही भारत के नाम दो उपलब्धियां जुड़ जाएंगी। चांद की सतह पर उतरने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। साथ ही दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश बन जाएगा।

एक बार जब चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा पहुंच जाएगा, तो इसरो को चंद्रयान-3 की ऊंचाई को कम करना और उसे 100 किमी की गोलाकार कक्षा में स्थापित करने के का को अंजाम देना होगा। इसरो ने प्रोपल्शन मॉड्यूल को 17 अगस्त को लैंडिंग मॉड्यूल से अलग करने का समय तय किया है। इसके बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग कराने की कोशिश की जाएगी।

मिशन के कई उद्देश्य

अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर

वेलोसीमीटर : लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा

जड़त्वीय मापन: लेजर गायरो आधारित जड़त्वीय संदर्भ और एक्सेलेरोमीटर पैकेज

प्रणोदन प्रणाली: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स

नौवहन, गाइडेंस एंड कंट्रोल (NGC): पावर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व

खतरे का पता लगाना और बचाव : लैंडर खतरे का पता लगाना और बचाव कैमरा और प्रसंस्करण एल्गोरिथम
लैंडिंग लेग तंत्र

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like