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महिला विज्ञान कांग्रेस में जैव विविधता को बचाने में महिलाओं के योगदान पर चर्चा

नागपुर में हुए भारतीय विज्ञान कांग्रेस के एक हिस्से के तौर पर 5-6 जनवरी को 10वीं महिला विज्ञान कांग्रेस का आयोजन हुआ। इस दौरान जैव विविधता को बचाने और एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को रेखांकित किया गया। किसान और संरक्षणवादी पद्मश्री राहीबाई सोमा पोपरे ने जैव विविधता संरक्षण में महिलाओं की निभाई गई अहम भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने किसानों को फसलों की मूल किस्मों की ओर लौटने में सहायता करने के अपने अभियान के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। मुख्य अतिथि के रूप में सेवा सदन संस्था की प्रमुख कंचन गडकरी ने महिलाओं की आत्मनिर्भरता के बारे में बताया। साथ ही, कई नामचीन महिला वैज्ञानिकों ने साथ अपने शोध और पेशेवर अनुभव साझा किए।

महिलाओं को बढ़ावा देने पर जोर

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत वाइज-किरण प्रभाग की सलाहकार व प्रमुख डॉ. निशा मेंदीरत्ता एसटीईएम में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए हस्तक्षेप की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि उच्च शिक्षा में लड़कियों की हिस्सेदारी 55 से अधिक है। हालांकि, इसके बाद बीच में पढ़ाई छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या ज्यादा है। डॉ. मेंदीरत्ता ने कहा कि यह एक मुद्दा है, जिसका हल खोजने की जरूरत है। डॉ. मेंदीरत्ता ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में कमियों को दूर करने और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए डीएसटी की कोशिशों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि पिछले आठ सालों में 35,000 से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं को विभाग के तहत अलग-अलग महिला केन्द्रित कार्यक्रमों के तहत लाभ प्रदान किया गया है।

अनुसंधान को इनोवेशन से जोड़ने पर जोर

कार्यक्रम के दौरान एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया। इस चर्चा में शामिल डीएसटी की वैज्ञानिक डॉ. इंदु बाला पुरी ने ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अगुवाई में विकास के महत्व का उल्लेख किया। वहीं, वनस्थली विद्यापीठ की डॉ. सुफिया खान ने इस पर जोर दिया कि अनुसंधान में इनोवेशन करने से बेहतर नतीजे मिल सकते हैं। इसके अलावा डीएसटी के अधीन टीआईएफएसी की डॉ. संगीता नागर ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में महिलाओं के लिए मौजूद अवसरों के बारे में जानकारी दीं।

वहीं, जेएनवी नागपुर की प्रधानाचार्य डॉ. जरीना कुरैशी ने एसटीईएम क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए स्कूल की छात्राओं के लिए विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के महत्व को साझा किया। डब्ल्यूओएस-बी कार्यक्रम की लाभार्थी डॉ. सोनल ढाबेकर ने इस बात को रेखांकित किया कि किस तरह इस कार्यक्रम ने लंबे अंतराल के बाद उनके वैज्ञानिक करियर को नया रूप देने में सहायता की है। आईएससीए की महासचिव डॉ. विजयालक्ष्मी सक्सेना ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार की अलग-अलग पहलों की सराहना की। इस कार्यक्रम में लगभग 5,000 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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