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गगनयान मिशन: क्रू सदस्यों की सुरक्षित वापसी के लिए हुआ जरूरी ट्रायल

भारत के सबसे महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की तैयारियां अब आखिरी चरण में है। पिछले दिनों इसरों ने इसके लिए एक जरूरी ट्रायल किया गया। इसके तहत गगनयान के साथ जाने वाले क्रू के लिए इनीशिएयल रिकवरी टेस्ट हुआ।

नेवी के साथ मिलकर ट्रायल

इसरो को इस ट्रायल के लिए नेवी की मदद मिली। नेवी के कोच्चि स्थित वाटर सर्वाइवल टेस्ट फैसिलिटी पर ये टेस्ट किया गया। इसरो ने कहा कि ये ट्रायल क्रू मॉड्यूल रिकवरी मॉडल (CMRM) की तैयारियों का हिस्सा है। CMRM, द्रव्यमान, गुरुत्वाकर्षण केंद्र, बाहरी आयामों और टचडाउन पर वास्तविक क्रू मॉड्यूल के बाहरी भाग को सिम्युलेट करता है। परीक्षण के हिस्से के रूप में क्रू मॉड्यूल की रिकवरी के लिए आवश्यक ऑपरेशन का क्रम पूरा किया गया।

इसलिए जरूरी था ट्रायल

इसरो के मुताबिक किसी भी मानव मिशन के लिए क्रू सदस्यों की सफल वापसी सबसे जरूरी होती है। यह सबसे अहम है और इसे कम से कम समय के अंतराल पर किया जाना है। इसरो ने कहा, “इसलिए बड़ी संख्या में परीक्षण करके अलग-अलग स्थितियों के लिए सफल वापसी प्रक्रियाओं का व्यापक रूप से अभ्यास करने की ज़रूरत है। क्रू और क्रू मॉड्यूल की रिकवरी के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर (एसओपी) को अंतिम रूप देने की आवश्यकता है। सफल वापसी परीक्षण शुरू में एक बंद पूल में किया गया। उसके बाद एक बंदरगाह और खुले समुद्र में ट्रायल किया जाएगा।

एसओपी को वैलिडेट करने में मदद

इसरो ने कहा कि ये परीक्षण एसओपी को मान्य करने में सहायता करते हैं। ये एसओपी क्रू सदस्यों की वापसी के साथ-साथ उड़ान वाले चालक दल के लिए हैं। वे रिकवरी एक्सेसरीज के उपयोग के लिए मूल्यवान इनपुट प्रदान करते हैं। रिकवरी टीम/प्रशिक्षकों से मिले फीडबैक से रिकवरी ऑपरेशन एसओपी को बेहतर बनाने, विभिन्न रिकवरी एक्सेसरीज को डिजाइन करने और प्रशिक्षण योजना को अंतिम रूप देने में मदद मिलती है।

क्यों ज़रूरी है गगनयाम मिशन

गगनयान मिशन में तीन सदस्यों के एक दल को तीन दिन के मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और उन्हें भारतीय समुद्र में उतारकर सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है।
मानवरहित गगनयान का पहला ट्रायल इस साल के आखिर में या अगले साल के शुरू में करने की योजना है। इसके बाद मानव मिशन व्योम मित्र को चालक दल और क्रू सदस्यों के साथ भेजा जाएगा।

जनवरी में हुए भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान इसरो के अध्यक्ष डॉ सोमनाथ ने कहा था कि गगनयान मिशन की टेस्टिंग चल रही है। उन्होंने कहा था कि जब इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की बात हो तो कोई भी जोखिम नहीं उठाया जा सकता। इसलिए हम पूरी सावधानी बरत रहे हैं। पूरी दुनिया में ऐसे मिशन की पूरी तैयारी करने में कम से कम 10 साल लगते हैं। हमने चार साल का लक्ष्य तय किया है। लेकिन हमें अहसास हुआ कि कुछ तकनीक आसानी से उपलब्ध नहीं है। पर्यावरण से जुड़ी तकनीक और लाइफ सपोर्ट सिस्टम महंगे हैं। इसलिए हम इसे और डेवलप कर रहे हैं। हम मिशन के बारे में चार अतिरिक्त टेस्ट कर रहे हैं। इसमें से कुछ इंसान के साथ औऱ इंसान के बिना होंगे। बिना इंसान वाले मिशन का इस साल आखिर तक टेस्ट किया जाएगा।

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