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Innovation Research

अब समुद्री लहरों से बनेगी बिजली, आईआईटी मद्रास ने विकसित की डिवाइस

भारत के लंबे समुद्र तट में 50 गीगावाट से ज्यादा बिजली पैदा करने की क्षमता है। इस क्षमता का पूरा फायदा उठाने पर नवीन ऊर्जा से 500 गीगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य आसान हो सकता है।

न्यूज इन साइंस डेस्क।

अब भारत में समुद्री लहरों से भी बिजली बनाई जा सकेगी। आईआईटी मद्रास ने ये कामयाबी हासिल की है। यहां के शोधकर्ताओं ने ‘ओशन वेव एनर्जी कन्वर्टर’ विकसित किया है। इससे समुद्री लहरों से भी बिजली पैदा होती है। इस डिवाइस का नवंबर के दूसरे सप्ताह में तमिलनाडु के तट पर सफलता के साथ ट्रायल पूरा किया गया।

ऐसे हुआ ट्रायल

तूतीकोरन समुद्र तट से करीब छह किलोमीटर दूर इस डिवाइस को लगाया गया। इसे समुद में करीब 20 मीटर की गहराई में सेट किया गया। डिवाइस की मदद से अगले तीन साल में एक मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य है।

पूरे होंगे कई लक्ष्य

इस प्रोजेक्ट की सफलता से कई लक्ष्य पूरे होंगे। इनमें सतत विकास लक्ष्य और संयुक्त राष्ट्र का समुद्री दशक भी शामिल है। वहीं भारत के लक्ष्यों में डीप वाटर मिशन, स्वच्छ ऊर्जा और नीली अर्थव्यवस्था को मजबूती देना शामिल है। साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद मिलेगी। भारत नवीन ऊर्जा के माध्यम से साल 2030 तक 500 गीगावाट बिजली पैदा करना चाहता है। इसमें ये प्रोजेक्ट अहम भूमिका निभा सकता है।

रणनीतिक रूप से अहम

इस डिवाइस को रिमोट लोकेशन पर लगाया गया है। रणनीतिक रूप से अहम संस्थानों के पेलोड और अन्य चीजों के लिए लगातार बिजली की जरूरत होती है। इनमें तेल और गैस, रक्षा और सुरक्षा से जुड़े इंस्टॉलेशन और कम्युनिकेशन सेक्टर शामिल है। इस तरह इन संस्थानों को बिजली मिल सकती है।

भारत को बड़ा फायदा

इस मिशन की अगुवाई आईआईटी मद्रास के फैकल्टी प्रोफेसर अब्दुस समाद ने की। वो एक दशक से भी अधिक समय से समुद्री लहरों से ऊर्जा बनाने के मिशन पर काम कर रहे थे। उन्होंने आईआईटी मद्रास में वेव एनर्जी, फ्लुड लेबोरेट्री बनाई है। उनकी लैब में इस टेक्नोलॉजी के लिए दूसरे ऐप्लिकेशन की भी टेस्टिंग हो रही है।

इस पूरे प्रोजेक्ट पर प्रोफेसर समाद ने कहा कि भारत का समुद्री तट करीब 7500 किमी लंबी है। यहां से 54 गीगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। इससे देश के ऊर्जा जरूरत का बड़ा हिस्सा पूरा हो सकता है। समुद्र के पानी में कई तरह की ऊर्जा होती है। इनमें से 40 गीगावाट ऊर्जा बनाना संभव है।
इस प्रोडक्ट का नाम सिंधुजा- I रखा गया है। इसका मतलब है समुद्र से पैदा हुआ। इस सिस्टम में एक तैरता हुआ बूई (buoy), एक स्पेर और एक इलेक्ट्रिक मॉड्यूल है। बूई समुद्र की लहरों के साथ ही ऊपर-नीचे होता है और इस तरह बिजली पैदा होती है।

1 Comment
  1. vishal 2 years ago
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    शानदार खबरें। विज्ञान, इनोवेशन और रिसर्च से जुड़ी सभी खबरें एक जगह।

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