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‘पारंपरिक ज्ञान और प्रौद्योगिकी के मिश्रण पर सरकार का जोर’

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बेहतरी के लिए पारंपरिक ज्ञान और भविष्य की प्रौद्योगिकी के मिश्रण के बारे में जानकारी साझा करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते हैं। केंद्रीय मंत्री नई दिल्ली में ‘पारंपरिक ज्ञान का संचार और प्रसार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (सीडीटीके-2023)’ को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ पारंपरिक ज्ञान के सबसे अच्छे मिश्रण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (डीजीटीएल) तक सभी की पहुंच प्रदान करना इस बात का संकेत है कि प्रौद्योगिकी के साथ ज्ञान का एकीकरण करने से आम लोगों को बहुत हद तक सहायता मिल सकती है।

केंद्रीय मंत्री ने स्वास्तीक (भारत का वैज्ञानिक रूप से मान्य सामाजिक पारंपरिक ज्ञान) ब्रोशर, लोकप्रिय विज्ञान पुस्तक और पारंपरिक ज्ञान की भारतीय पत्रिका आजादी का अमृत महोत्सव अंक भी जारी किया। दो दिन का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएसपीआर), नई दिल्ली की तरफ से आयोजित किया जा रहा है।

अनुसंधान को सबसे ज्यादा प्राथमिकता

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले आठ सालों में, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, महासागरों जैसे स्वदेशी संसाधनों को कई पहलों के माध्यम से अब सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। इसका मकसद पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान को एकीकृत करना हॉं। उन्होंने हिंद महासागर में डीप सी मिशन, बैंगनी क्रांति और सबसे नई तकनीक का उपयोग करके लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने का उदाहरण दिया, जिसके माध्यम से स्थानीय कश्मीरियों के लिए रोजगार के बड़े अवसर उत्पन्न हुए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर-एनआईएससीसीपीआर को व्यापक स्तर पर और इस विषय पर पहले सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि भारत के पास लिखित, मौखिक और अनुप्रयुक्त ज्ञान का सबसे बड़ा और समृद्ध भंडार है। उन्होंने कहा कि इसे साबित करते हुए हमारे पास सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस ज्ञान का बेहतर उपयोग किस प्रकार से किया जाए।

डॉ. सिंह ने कहा कि इसे दोनों के बीच एक सर्वोत्तम संतुलन बनाकर प्राप्त किया जा सकता है, जिसके लिए एकीकृत और विचारशील प्रक्रिया की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह सबसे अच्छा समय है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के अंतर्गत दुनिया में इस क्षेत्र का नेतृत्व करे क्योंकि, देश को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के लिए ऐसा अवसर पहले कभी भी प्राप्त नहीं हुआ है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत कोविड-19 के चार टीके विकसित करने में सक्षम हुआ, जबकि पूरी दुनिया एक भी टीका बनाने के लिए संघर्ष कर रही थी और देश ने ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के अंतर्गत कई देशों को टीका प्रदान करते हुए कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में योगदान दिया, जो पारंपरिक और मानवीय मूल्यों में भारत के विश्वास को दिखाता है। उन्होंने कहा कि जब पारंपरिक ज्ञान दांव पर लगता है तो इसे बहुत तेजी से बढ़ावा दिया जाता है और एकीकरण के साथ संसाधनों को साथ रखना हमें आधुनिक समय की ओर लेकर जाता है।

इस अवसर पर सीएसआईआर के महानिदेशक और डीएसआईआर के सचिव, डॉ. कलाईसेल्वी ने कहा कि हम एक स्वर्णिम दौर से गुजर रहे हैं और देश विज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान का उत्सव मना रहा है जिसका श्रेय प्रधानमंत्री को जाता है, जिन्होंने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्टार्ट-अप और शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित किया। इस दो दिन के सम्मेलन का आयोजन 14 और 15 फरवरी, 2023 को किया गया जिसमें देश के 22 राज्यों सहित अमेरिका, कनाडा, स्विट्जरलैंड, कतर और तुर्की जैसे देशों के 200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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