वैज्ञानिकों ने सभी इंसानी डीएनए का एक अपडेट मानचित्र तैयार किया है। माना जा रहा है कि यह नया मानचित्र चिकित्सा रिसर्च की दिशा बदल सकता है।
मूल मानव जीनोम 20 साल पहले प्रकाशित हुआ था। यह ज्यादातर एक व्यक्ति का ही था। इसमें मानव विविधता नहीं थी।
नए वर्जन को पैनजीनोम नाम दिया गया है। यह अफ्रीका, एशिया, अमेरिका और यूरोप के 47 लोगों के डेटा से बना है।
उम्मीद है कि इससे नई दवाओं और इलाज को बढ़ावा मिलेगा और इसका असर व्यापक समूह पर होगा।
चिकित्सा रिसर्च को बदलने की क्षमता
मैरीलैंड के बेथेस्डा में राष्ट्रीय मानव जीनोम अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ एरिक ग्रीन के अनुसार, नेचर पत्रिका में प्रकाशित शोध में चिकित्सा अनुसंधान को बदलने की क्षमता है।
“यह जबरदस्त वैज्ञानिक उपलब्धि है। मानव आबादी की विविधता को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने वाला एक पैनजीनोम वैज्ञानिकों को यह बात बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा कि आनुवंशिक भिन्नता स्वास्थ्य और बीमारी को किस तरह प्रभावित करती है और हमें ऐसे भविष्य में ले जाती है जिसमें जीनोमिक दवा हर किसी को लाभ पहुंचाती है।”
पैनजीनोम में अलग-अलग पूर्वजों के 47 लोगों के अलग-अलग डीएनए मानचित्र हैं। इन्हें अहम आनुवंशिक अंतरों का पता लगाने के लिए नए सॉफ़्टवेयर टूल के साथ जोड़ा और तुलना भी की जा सकती है।
इसका मकसद ज़्यादा से ज्यादा लोगों के लिए अधिक प्रभावी इलाज खोजना है। लेकिन अनुवांशिक वैज्ञानिक इस बात को जानते हैं कि अनुसंधान का दुरुपयोग होने की संभावना है।
मानव जीनोम काफी हद तक 2003 में पूरा हो गया था। यह बुनियादी रासायनिक निर्माण ब्लॉकों का एक नक्शा है जो मानव डीएनए बनाते हैं। शोधकर्ता इसका उपयोग रोगों में शामिल जीन की पहचान करने के लिए करते हैं ताकि बेहतर उपचार विकसित किया जा सके। इसने कैंसर के उपचारों में सुधार किया है और हंटिंगटन रोग जैसी विरासत में मिली स्थितियों की शुरुआत की भविष्यवाणी करने के लिए परीक्षणों का विकास किया है।
लेकिन नकारात्मक पक्ष यह है कि 70% जीनोम एक ही व्यक्ति से आया है: यूरोपीय और अफ्रीकी वंश वाला एक अमेरिकी व्यक्ति से।
हालांकि वर्तमान में शोधकर्ताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले मानव जीनोम के मानचित्र में बहुत अधिक अफ्रीकी डीएनए हैं।
इलाज में मिलेगी मदद
अमेरिका और यूके और आयरलैंड में हाल ही में किए गए दो अध्ययनों में पाया गया कि अफ्रीकी वंश के बच्चों की तुलना में यूरोपीय वंश के बच्चों में आनुवंशिक परीक्षणों का निदान होने की संभावना दोगुनी थी।
नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टिट्यूट में कार्यक्रम निदेशक डॉ अलेक्जेंडर आर्गुएलो का कहना है कि नई परियोजना का उद्देश्य उन परिणामों को बदलना था।
नया पैनजीनोम 47 लोगों से बना है। इनमें आधे उप-सहारा अफ्रीका से हैं। वहीं अमेरिका से एक-तिहाई, चीन से 13% और यूरोप से 2% लोगं हैं।
लेकिन यह दुनिया की आबादी की विविधता का बेहतर प्रतिनिधित्व करने के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की शुरुआत भर है। प्रारंभिक उद्देश्य संख्या को बढ़ाकर 350 करना है। इसके बाद बड़े पैमाने पर अमेरिकी कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिक अन्य देशों के संगठनों के साथ काम करके संख्या और विविधता को और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जिससे उन्हें उम्मीद है कि मानव जीनोम परियोजना का दूसरा चरण बन जाएगा।