वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी रोबोटिक मधुमक्खी विकसित की है जो पूरी तरह से सभी दिशाओं में उड़ सकती है। इस रोबोट के चारों पंख कार्बन फाइबर और माइलर के बने हैं। साथ ही हर पंख को नियंत्रित करने के लिए इसमें चार हल्के एक्यूएटर लगे हुए हैं। यह Bee++ प्रोटोटाइप सभी दिशाओं में स्थिर रूप से उड़ान भरने वाला पहला रोबोट है। इसमें Bee++ पूरी तरह से छः डिग्री के मुक्त मूवमेंट को प्राप्त करता है। इसी तरह का मूवमेंट उड़ने वाले कीट-पतंगों का भी होता है।
इस रिसर्च को यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेकेनिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर, नेस्टर ओ. पेरेज़-अरनसीबिया के नेतृत्व में पूरा किया गया है। शोधकर्ताओं ने IEEE Transactions on Robotics में अपने काम की जानकारी दी है। साथ ही इस महीने के आखिर में होने वाले IEEE इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन में अपना पेपर प्रस्तुत करेंगे।
बड़ी सफलता
अरनसीबिया ने कहा कि शोधकर्ता 30 से अधिक सालों से कीड़े जैसे रोबोट बनाने पर काम कर रहे थे किसी दिन इनका इस्तेमाल कई तरह के कामो में किया जा सकता है। जैसे किसी हादसे में मलबे में दबे लोगों को खोजने के लिए। इसके अलावा कृत्रिम परागण, तंग जगहों में खोज और बचाव के प्रयास, जैविक अनुसंधान या पर्यावरणीय निगरानी में भी इसका इस्तेमाल हो सकता है।
लेकिन इस तरह के बहुत छोटे रोबोट को विकसित करने के लिए नियंत्रक के विकास की आवश्यकता थी। ऐसा नियंत्रक जो कीड़ों के मस्तिष्क की तरह काम करे।
गणितीय नियंत्रण पर आधारित
उन्होंने कहा कि यह रोबोटिक डिजाइन और नियंत्रण का मिला-जुला रूप है। “नियंत्रण अत्यधिक गणितीय है और आप एक प्रकार का कृत्रिम मस्तिष्क डिज़ाइन करते हैं। कुछ लोग इसे छिपी हुई तकनीक कहते हैं, लेकिन उन सरल दिमागों के बिना कुछ भी काम नहीं करेगा।”
शोधकर्ताओं ने शुरू में दो पंखों वाली रोबोटिक मधुमक्खी विकसित की थी। लेकिन इसका मूवमेंट सीमित था। साल 2019 में अरनसीबिया और पीएचडी कर रहे उनके दो छात्रों ने पहली बार उड़ान भरने के लिए पर्याप्त चार पंखों वाला रोबोट बनाया। इस तरह के मूवमेंट को पिचिंग या रोलिंग के रूप में जाना जाता है। इसमें आगे के पंख, पीछे के पंख की तुलना में अलग तरीके से ऊपर और नीचे होते हैं। लेकिन इस जटिल मूवमेंट तो नियंत्रित करने में सक्षम होना बेहद महत्वपूर्ण था। इसके बिना, रोबोट नियंत्रण से बाहर हो जाता। किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ होता और इस तरह दुर्घटनाग्रस्त हो जाता।
अपने रोबोट को नियंत्रित तरीके से मुड़ने देने के लिए, शोधकर्ताओं ने कीड़ों के मूवमेंट को समझा और पंखों को स्थानांतरित किया ताकि वे एक कोण वाले एंगल के हिसाब से फड़फड़ा सकें। उन्होंने प्रति सेकंड कई बार अपने रोबोट के पंखों को फड़फड़ाने की मात्रा में भी वृद्धि की – प्रति सेकंड 100 से 160 बार।
33-मिलीमीटर पंखों के फैलाव के साथ 95 मिलीग्राम वजनी, Bee++ अभी भी असली मधुमक्खियों से बड़ी है, जिनका वजन लगभग 10 मिलीग्राम होता है। वास्तविक कीड़ों के विपरीत, यह एक समय में केवल पांच मिनट के लिए स्वायत्त रूप से उड़ सकता है, इसलिए यह ज्यादातर केबल के माध्यम से एक शक्ति स्रोत से जुड़ा होता है। शोधकर्ता क्रॉलर और वॉटर स्ट्राइडर्स सहित अन्य प्रकार के कीट रोबोट विकसित करने के लिए भी काम कर रहे हैं।