राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-निस्पर) ने भोपाल में आठवें भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)- “विज्ञानिका- विज्ञान साहित्य महोत्सव” का एक और सफल संस्करण आयोजित किया।
समाज को जोड़ता है विज्ञान
विज्ञानिका कार्यक्रम विज्ञान और समाज के बीच एक पुल की तरह काम करता है और यह आईआईएसएफ के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है। इसके भोपाल संस्करण में कई तरह के सत्रों का आयोजन किया गया। ये भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार, लोकप्रिय विज्ञान पुस्तकों के लेखकों, विज्ञान कवि सम्मेलन और दस्तावेज प्रस्तुतीकरण आदि पर केंद्रित थे। विज्ञानिका कार्यक्रम के आकर्षण के अन्य केंद्र विज्ञान नाटक, कठपुतली शो, मानसिकता (मेंटलिज्म) कार्यक्रम और चित्रकला प्रतियोगिता थी। आईआईएसएफ के विज्ञानिका कार्यक्रम में लगभग 50 विशेषज्ञों और विज्ञान संचारकों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, छात्रों आदि सहित लगभग 250 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सीएसआईआर की महानिदेशक और डीएसआईआर की सचिव डॉ. एन कलाइसेल्वी ने विज्ञानिका कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने आईआईएसएफ के एक भाग तहत विज्ञानिका के पहले के पांच संस्करणों का सफलता के साथ आयोजन करने को लेकर सीएसआईआर-निस्पर की तारीफ की। डॉ. कलाइसेल्वी ने कहा कि विज्ञान संचार, विज्ञान को समाज से जोड़ता है। वहीं विज्ञान भारती के अध्यक्ष और सीएसआईआर के पूर्व महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने समाधान खोजने के लिए विघटनकारी विज्ञान (disruptive science) पर काम करने की जरूरत पर जोर दिया।
कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा
विज्ञानिका कार्यक्रम के पहले सत्र में क्षेत्रीय विज्ञान संचार के महत्व, इसकी स्थिति, चुनौतियों और कार्यक्षेत्र पर शानदार चर्चा हुई। इस चर्चा में तमिल, कन्नड़, मराठी, बंगाली, उर्दू और हिंदी में क्षेत्रीय विज्ञान संचारक शामिल थे। इस सत्र का संचालन विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक डॉ. टी. वी. वेंकटेश्वरन ने किया।
इसके पहले दिन विद्यालय के बच्चों के लिए भी एक सत्र आयोजित किया गया। इसमें भोपाल पब्लिक स्कूल के लगभग 100 छात्रों ने हिस्सा लिया। इस सत्र में एक मेंटलिज्म शो, विज्ञान कठपुतली शो और “इंडिया@100- मेरा देश, मेरी सोच” विषयवस्तु पर चित्रकला प्रतियोगिता भी हुई।
इस कार्यक्रम में दो वैज्ञानिक सत्र आयोजित किए गए। इनमें विज्ञान संचार अनुसंधान और नई पहलों पर 17 पेपर प्रस्तुत किए गए।
नाटक के जरिए वैज्ञानिक जागरूकता
पहले दिन शाम के सत्र में एक विज्ञान नाटक “गैलीलियो” प्रदर्शित किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित थे। इस नाटक में इटली के खगोलशास्त्री व गणितज्ञ गैलीलियो के जीवन और संघर्ष को थिएटर ग्रुप ने प्रदर्शित किया। इस नाटक का स्पष्ट संदेश- ‘समाज के विकास के लिए वैज्ञानिक जागरूकता जरूरी है’ था। भोपाल स्थित शैडो कल्चरल और सोशल वेलफेयर सोसायटी ने इस नाटक का मंचन किया था। कवि नीलेश मालवीय ने गैलीलियो नाटक को प्रस्तुत किया। वहीं, सीएसआईआर-निस्पर के वैज्ञानिक डॉ. मनीष मोहन गोरे और सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की पीएचडी स्कॉलर श्वेता श्रीवास्त्री ने इस नाटक सत्र का संचालन किया।
दूसरे दिन की शुरुआत “लेखकों से मिलें” सत्र के साथ हुई। इन लेखकों में जेनेवा के सीईआरएन से डॉ. अर्चना शर्मा, डॉ. पी. ए. सबरीश, पंकज चतुर्वेदी, स्वाति तिवारी, प्रमोद भार्गव, अमित कुमार, निरंजन देव भारद्वाज और डॉ. मेहर वान जैसे विज्ञान लेखक शामिल थे।
विज्ञान कवि सम्मेलन का आयोजन
इसके बाद विज्ञान कवि सम्मेलन सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र के प्रमुख कवियों में डॉ. शुभ्रता मिश्रा, सारिका घारू, शुचि मिश्रा, सुधीर सक्सेना, विशाल मुलिया, मोहन सगोरिया, ओम प्रकाश यादव, डॉ. दिनेश चमोला और पंकज प्रसून थे। इसके संचालन की जिम्मेदारी राधा गुप्ता ने निभाईं।
इस कार्यक्रम के समापन सत्र में भी कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए। भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश ने कैंसर और जलवायु परिवर्तन जैसी मानवता के सामने मौजूद चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने आगे इन चुनौतियों के समाधान के लिए आम नागरिकों द्वारा विज्ञान संचार को अपनाने और तर्कसंगत सोच को अपनाने पर जोर दिया। वहीं, नई दिल्ली स्थित जेएनयू के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर बी.एस. बालाजी ने ‘दिव्यांगों के लिए शैक्षणिक उपकरण- एक नई शुरुआत का संकल्प’ पर व्याख्यान दिया।
इसके अलावा आईआईएसएफ- भोपाल में सीएसआईआर-निस्पर ने मेगा साइन्स एक्सपो पवेलियन में अपनी लोकप्रिय विज्ञान पत्रिकाओं, पुस्तकों और पत्रिकाओं का भी प्रदर्शन किया। सीएसआईआर-निस्पर के इस स्टॉल पर हजारों की संख्या में विज्ञान प्रेमी पहुंचे थे।